रूक ना तू, बस चलता जा ।
उठा कदम और बढता जा ।।
काहे खुद से भागे, जा बेफिक्र आगे ।
ना सोना तु पिछे, वहाँ तो सुरज भी न जागे ।।
हो खुद पर यकीन, तब सब मुमकिन ।
छोड़ कदमों की जमीन, देख दुनिया रंगीन ।।
चाहे करे सब सौ अर्ज़ी, जी ले अपनी मर्ज़ी ।
ना कर गिनती, गुज़र जायेगी ज़िंदगी फ़र्ज़ी ।।
ढूंढेगा जो बाहर, हाथ आएगा अँधेरा ।
दिल जांखले अपना, फिर हर और सबेरा ।।
दिल जांखले अपना, फिर हर और सबेरा ।।