मुझे लगा

बिखरा पड़ा मिलालगा बेकार जो पत्थर जुड़ जुड़ बना पहाड़लगा जैसे सुंदर कोई शिखर खाली हाथ मिलालगा गुमनाम जो फ़कीर झोला क्या उठाया साथलगा शायद हो मशहूर मुसाफिर गैरों ने हाल पूछाकहा ठीक तो हूं यार अपनों ने पास बुलायालगा… Continue reading

Zindagi

ज़िन्दगीइन पत्तो की तरहकभी गुलाबी, कभी हरी, कभी पिली, कभी बादामी होती है…हर रंग की इज़्ज़त करे…और प्यार भी…एक ही रंग की चाहत और उम्मीदसिर्फ सूखा छोड़ जाती है…

दरिया

 दरिया होकर भी  यूं ही नहीं भेजता मै लहरों को किनारे पर  यह तो तस्वीर खींचता रहता हूं  जब भागता है कोई  कूड़ा कचरा डालकर  शांति से चुपचाप  बहता रहता हूं पूरा दिन इधर से उधर  पर जब तुम  मेरी… Continue reading

बारिश…

 बारिश…  बारिश…अच्छी लगती हैजब हाथ में चाय का कप हो बारिशछू लेती है… बस भीगने का मन हो बारिश…भगाती है…जब सिर पर छत न हो बारिश…रोक लेती है…अगर रास्ता कठिन हो बारिश…हरियाली देती है…बस वक्त सही हो बारिश…सूखा छोड़ जाती… Continue reading